एक हकीकत से सामना, जो आपके देखने का नज़रिया ही बदल देगा!
मैरी कॉम, जिनका पूरा नाम मंगते चुंगनेजंग मैरी कॉम है, भारत की सबसे प्रसिद्ध महिला मुक्केबाज हैं।
“मैग्निफिसेंट मैरी” के नाम से मशहूर, उन्होंने न सिर्फ रिंग में अपनी ताकत दिखाई, बल्कि अपने जीवन के हर पड़ाव पर संघर्ष और सफलता की मिसाल कायम की।
यह लेख उनके जीवन की यात्रा को दर्शाता है, जो हर इंसान के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

मैरी कॉम: संघर्ष से सफलता तक की दमदार कहानी
क्या आपने कभी किसी ऐसे इंसान की कहानी सुनी है, जिसने ज़िंदगी की हर मुश्किल को अपने फौलादी इरादों से हराया हो?
मैरी कॉम (Mary Kom) ऐसी ही एक अद्भुत हस्ती हैं, जिन्होंने गरीबी, समाज की बंदिशें, शादी और माँ बनने के बाद भी अपने सपनों को टूटने नहीं दिया। उनकी कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती–
गरीबी से विजेता
एक गरीब किसान की बेटी से लेकर वर्ल्ड चैंपियन और ओलंपिक पदक विजेता बनने तक का सफर!
अगर आप भी अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं, तो इस लेख को पूरा पढ़े- क्योंकि मैरी कॉम की ज़िंदगी हमें सिखाती है कि कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता!
बचपन: जब सपने भी महंगे लगते थे!
1 मार्च 1983 को मणिपुर के छोटे से गाँव कांगथेई में मैरी कॉम का जन्म हुआ। उनके माता-पिता झूम खेती करते थे और परिवार की आर्थिक हालत इतनी खराब थी कि कई बार उन्हें दो वक्त की रोटी के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था।
बचपन में ही मैरी ने खेतों में काम करना शुरू कर दिया था। स्कूल जाने के साथ-साथ घर के कामों में भी हाथ बँटातीं, लेकिन उनके अंदर कुछ बड़ा करने की आग थी। हालांकि, उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि यह छोटी लड़की एक दिन देश का नाम रोशन करेगी!
खेलों में रुचि: बॉक्सिंग नहीं, कुछ और बनने वाली थीं!
आप कुछ उदाहरण देख सकते हैं। जिनका सपना कुछ और था लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था!
यहाँ भारत के कुछ प्रसिद्ध व्यक्तियों के उदाहरण दिए जा रहे हैं, जो अपने मूल लक्ष्य से अलग राह पर चले और फिर भी असाधारण सफलता हासिल की:
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
मूल इच्छा: बचपन में वे एक फाइटर पायलट बनना चाहते थे।
बने: भारतीय वायु सेना में पायलट बनने का उनका सपना पूरा नहीं हुआ, लेकिन वे वैज्ञानिक बने और भारत के मिसाइल प्रोग्राम के जनक कहलाए। बाद में वे देश के राष्ट्रपति भी बने, जिन्हें “मिसाइल मैन” और “पीपुल्स प्रेसीडेंट” के नाम से जाना जाता है।
धीरूभाई अंबानी
मूल इच्छा: धीरूभाई ने शुरू में मामूली नौकरी करने और परिवार का सहारा बनने का लक्ष्य रखा था। वे यमन में एक पेट्रोल पंप पर क्लर्क के रूप में काम करते थे।
बने: उन्होंने व्यापार की दुनिया में कदम रखा और रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की, जो भारत की सबसे बड़ी निजी कंपनियों में से एक बन गई। वे उद्यमी बनकर देश के सबसे प्रभावशाली व्यवसायी कहलाए।
लता मंगेशकर
मूल इच्छा: लता जी शुरू में अभिनेत्री बनना चाहती थीं और फिल्मों में अभिनय करना चाहती थीं।
बनीं: अभिनय में ज्यादा सफलता न मिलने पर उन्होंने गायन पर ध्यान दिया और भारत की सबसे महान पार्श्व गायिकाओं में से एक बन गईं, जिन्हें “स्वर कोकिला” कहा जाता है।
सचिन तेंदुलकर
मूल इच्छा: सचिन शुरू में तेज गेंदबाज बनना चाहते थे और क्रिकेट में गेंदबाजी करना उनका सपना था।
बने: उनके कोच रमाकांत आचरेकर ने उनकी बल्लेबाजी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें बल्लेबाज बनने की सलाह दी। नतीजा यह हुआ कि वे क्रिकेट इतिहास के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक बने।
महेंद्र सिंह धोनी
मूल इच्छा: धोनी ने अपने करियर की शुरुआत में रेलवे में टिकट कलेक्टर की नौकरी की और शायद एक साधारण जीवन जीने का इरादा रखा था।
बने: क्रिकेट में मौका मिलने पर उन्होंने अपनी प्रतिभा दिखाई और भारत के सबसे सफल क्रिकेट कप्तानों में से एक बने, साथ ही विश्व कप विजेता भी।
ये भारतीय हस्तियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि कई बार जीवन हमें अप्रत्याशित दिशाओं में ले जाता है, और मेहनत व लगन से लोग अपने नए रास्ते पर भी महानता हासिल कर सकते हैं।
पटना वाले खान सर का सपना था फ़ौजी बनना पर किस्मत में बनना लिखा था अध्यापक।
वैसे ही बचपन से ही मैरी कॉम को खेलों में दिलचस्पी थी। वह पहले एथलेटिक्स में भाला फेंक और 400 मीटर दौड़ की खिलाड़ी बनना चाहती थीं। लेकिन उनकी ज़िंदगी में एक ऐसा मोड़ आया जिसने सब कुछ बदल दिया।
मणिपुर के बॉक्सर डिंग्को सिंह से प्रेरित हुई, तो मैरी कॉम को बॉक्सिंग का जुनून सवार हो गया! बस, फिर क्या था? उन्होंने भी सोच लिया कि उन्हें बॉक्सर बनना है, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ।
बॉक्सिंग की शुरुआत: जब घरवालों ने विरोध किया!
आम तौर पर यह देखने को मिलता है कि जब कोई भी व्यक्ति बनी बनाई मान्यताओं के खिलाफ़ कोई काम करना की सोचता है, तो बहुत से लोग रोक-टोक करते हैं। ठीक ऐसा ही हुआ। जब मैरी ने बॉक्सिंग में कदम रखा, तो उनके परिवार ने इसका विरोध किया। खासतौर पर उनके पिता को यह पसंद नहीं था, क्योंकि उन्हें डर था कि बॉक्सिंग से उनकी बेटी के चेहरे पर चोट लग सकती है, जिससे शादी में दिक्कत आएगी!
लेकिन मैरी के इरादे किसी पंच से कम मजबूत नहीं थे। उन्होंने घरवालों से छिपकर बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया। हर सुबह 3 बजे उठकर दौड़ लगाना, फिर स्कूल जाना और उसके बाद घंटों तक बॉक्सिंग की प्रैक्टिस करना – यह उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी बन गई।
पहली बार जब 2000 में उन्होंने मणिपुर स्टेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती, तब उनके पिता को उनकी सफलता का एहसास हुआ। अब पूरा परिवार उनके साथ था!
शादी और करियर: दो नावों में सफर, लेकिन डूबी नहीं!
अक्सर आपने लोगों को यह कहते सुना होगा कि दो नावों पर पैर मत रखो, नहीं तो कहीं के नहीं रहोगे। अंग्रेजी में कहा गया है- “Between two stools, we come to the ground.” लेकिन मैरी कॉम ने इस कहावत को गलत साबित कर दिया।
2005 में मैरी कॉम ने ओन्लर कॉम से शादी कर ली। शादी के बाद कई लोगों ने कहा– “अब तो तुम्हारा करियर खत्म हो जाएगा!” लेकिन मैरी ने साबित किया कि शादी किसी लड़की के सपनों की रुकावट नहीं होती।
फिर 2007 में उन्होंने जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया। यहाँ भी लोगों ने कहा – “अब तो बॉक्सिंग छोड़ दो!” लेकिन मैरी कॉम ने फिर वापसी की और 2008 में वर्ल्ड चैंपियन बनीं!
जरा सोचिए
एक माँ, दो छोटे बच्चों की देखभाल और फिर भी वर्ल्ड चैंपियन बनने का जज़्बा!
ओलंपिक और गोल्ड मेडल: इतिहास रचने वाली महिला!
2012 में, जब पहली बार महिला बॉक्सिंग को ओलंपिक में शामिल किया गया, तो मैरी कॉम भारत की ओर से इकलौती महिला बॉक्सर थीं। उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता।
इसके बाद भी उन्होंने सफलता की नई ऊँचाइयाँ छूईं:
✔️ 6 बार वर्ल्ड चैंपियन बनीं
✔️ 2014 एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल
✔️ 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल
✔️ राज्यसभा सांसद बनीं और समाज सेवा में योगदान दिया
मैरी कॉम से क्या सीख सकते हैं?
मैरी कॉम की कहानी हमें कई ज़रूरी बातें सिखाती है:
✅ सपने देखने की हिम्मत करें– चाहे कोई भी परिस्थिति हो, बड़े सपने देखने से न डरें।
✅ कड़ी मेहनत करें– सफलता की कोई शॉर्टकट नहीं होती, इसके लिए जी-जान से मेहनत करनी पड़ती है।
✅ लोग क्या कहेंगे, इसकी परवाह मत करें– अगर मैरी कॉम ने समाज की परवाह की होती, तो वह आज यहाँ नहीं होतीं।
✅ शादी और बच्चे करियर में रुकावट नहीं होते – सही मैनेजमेंट से आप सब कुछ हासिल कर सकते हैं।
✅ हमेशा खुद पर विश्वास रखें– असली ताकत आपके अंदर ही होती है।
निष्कर्ष: एक असली हीरो!
मैरी कॉम सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि हर उस इंसान के लिए प्रेरणा हैं जो अपने सपनों को साकार करना चाहता है। उनकी कहानी दिखाती है कि अगर मेहनत और जज़्बा हो, तो कोई भी चुनौती आपको रोक नहीं सकती!
अगर आपको यह कहानी प्रेरणादायक लगी, तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और अपने सपनों को साकार करने की दिशा में पहला कदम उठाएँ!
“हार मत मानो, क्योंकि जीत तुम्हारे संघर्ष के एक कदम बाद ही है!”

