डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: संघर्ष, सफलता और प्रेरणा की मिसाल

सपने की ताकत

“सपने वो नहीं जो सोते वक्त देखे जाएं, सपने वो हैं जो आपको सोने न दें।”
सूरज की तरह चमकने के लिए, उसकी तरह जलना पड़ता है।

आज हम बात करेंगे एक ऐसे इंसान की, जिसने गरीबी में दिन गुजारे, अखबार बेचे, और फिर देश को मिसाइलें दीं। वो शख्स—डॉ. अवुल पकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम। सपनों का ये सौदागर कैसे बना “मिसाइल मैन” और जनता का प्यारा राष्ट्रपति? चलिए, उनके अनोखे सफर की एक झलक पाते हैं।

लेकिन आगे बढ़ने से पहले भारत के सभी राष्ट्रपतियों पर एक नज़र डालते हैं।

अब तक (मार्च, 2025)भारत में कुल 15 राष्ट्रपति बन चुके हैं। भारत का राष्ट्रपति पद संविधान के लागू होने के बाद 26 जनवरी 1950 से अस्तित्व में आया। पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे, जिन्होंने 1950 से 1962 तक कार्य किया। वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं, जो 25 जुलाई 2022 को पदभार ग्रहण करने वाली 15 वीं राष्ट्रपति हैं।

राष्ट्रपतियों की सूची संक्षेप में दी जा रही है:

  1. Dr. राजेंद्र प्रसाद (1950-1962)
  2. Dr. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1962-1967)
  3. Dr. जाकिर हुसैन (1967-1969)
  4. वी. वी. गिरी (1969-1974)
  5. फखरुद्दीन अली अहमद (1974-1977)
  6. नीलम संजीव रेड्डी (1977-1982)
  7. ज्ञानी जैल सिंह (1982-1987)
  8. आर. वेंकटरमण (1987-1992)
  9. Dr. शंकर दयाल शर्मा (1992-1997)
  10. के. आर. नारायणन (1997-2002)
  11. Dr. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (2002-2007)
  12. प्रतिभा पाटिल (2007-2012)
  13. प्रणब मुखर्जी (2012-2017)
  14. राम नाथ कोविंद (2017-2022)
  15. द्रौपदी मुर्मू (2022-वर्तमान)

नोट: कुछ अंतरिम राष्ट्रपति भी रहे हैं, जैसे मोहम्मद हिदायतुल्लाह और बी. डी. जत्ती, लेकिन वे आधिकारिक रूप से पूर्णकालिक राष्ट्रपति नहीं माने जाते। पूर्णकालिक राष्ट्रपतियों की संख्या 15 ही है।

आज हम जिस महान वैज्ञानिक और राष्ट्रपति की बात करने जा वे हैं- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम। जिनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम

उपनाम

भारत के “मिसाइल मैन” और “पीपुल्स प्रेसिडेंट” के नाम से भी जाना जाता है।

क्यों खास हैं डॉ. अब्दुल कलाम?

भारत के सबसे प्रिय वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन असाधारण संघर्ष और सफलता की मिसाल है। उन्होंने गरीबी में जन्म लेकर भी अपने सपनों को नहीं छोड़ा और विज्ञान, शिक्षा और देशसेवा के माध्यम से पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिन परिस्थितियाँ भी हमें सफल होने से नहीं रोक सकतीं, बस शर्त के है कि हम लगन के साथ मेहनत करते रहें।


1. बचपन: संघर्षों से भरी शुरुआत

रामेश्वरम की गलियों से राष्ट्रपति भवन तक का सफर

15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे अब्दुल कलाम एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता जैनुलाब्दीन एक नाविक थे, जो तीर्थयात्रियों को नाव से रामेश्वरम लाते-जाते थे। उनकी माता आशियम्मा एक धार्मिक और दयालु महिला थीं।

बचपन की कठिनाइयाँ:

  • परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि उन्हें बचपन में अख़बार बेचकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकालना पड़ा।
  • स्कूल के बाद वे सुबह-सुबह रेलवे स्टेशन जाते और वहाँ से अख़बार लेकर उन्हें घर-घर बेचते थे।

गुरु की सीख जिसने जीवन बदल दिया

रामनाथपुरम के श्वार्ट्ज हाई स्कूल में पढ़ते समय उनके शिक्षक शिव सुब्रमण्य अय्यर ने उन्हें विज्ञान में रुचि लेने की प्रेरणा दी। एक दिन जब वे पक्षियों को उड़ते हुए देख रहे थे, तो उनके शिक्षक ने कहा, “तुम भी एक दिन ऐसे ही उड़ान भरोगे।” इस बात ने उनके मन में एरोनॉटिक्स और अंतरिक्ष विज्ञान को लेकर रुचि जगा दी।


2. शिक्षा और वैज्ञानिक बनने का सफर

MIT में दाखिले के लिए संघर्ष

12वीं के बाद उन्होंने सेंट जोसेफ College, तिरुचिरापल्ली से भौतिकी में स्नातक किया और फिर मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में दाखिला लिया।

रोचक घटना:
जब वे MIT में दाखिल हुए, तो उनके पास फीस भरने के पैसे नहीं थे। उनकी बहन ने अपने गहने गिरवी रखकर उनकी पढ़ाई का खर्च उठाया।

MIT में पढ़ाई के दौरान उनके प्रोफेसर ने उनका एक प्रोजेक्ट रिजेक्ट कर दिया और सिर्फ तीन दिन में पूरा करने को कहा। उन्होंने लगातार 72 घंटे बिना सोए मेहनत की और प्रोजेक्ट पूरा कर दिया। यह उनके जीवन की पहली बड़ी परीक्षा थी, जिसे उन्होंने सफलता से पास किया।


3. वैज्ञानिक जीवन: भारत के मिसाइल मैन की कहानी

ISRO में भारत का पहला स्वदेशी रॉकेट

डॉ. कलाम ने 1958 में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) में काम शुरू किया, लेकिन उनका असली योगदान तब दिखा जब वे 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में शामिल हुए।

उन्होंने भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान SLV-3 को विकसित किया, जिसने 1980 में सफलतापूर्वक रोहिणी उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया।

मिसाइल विकास कार्यक्रम और अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल

1980 के दशक में उन्हें भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम का प्रमुख बनाया गया। उनके नेतृत्व में अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश और नाग जैसी मिसाइलें विकसित की गईं।

पोखरण-2: भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाना

1998 में राजस्थान के पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण (Pokhran-II) में डॉ. कलाम की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस परीक्षण ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बना दिया और दुनिया में उसकी ताकत को मान्यता दिलाई।


4. राष्ट्रपति कार्यकाल (2002-2007): जब विज्ञान का योद्धा राष्ट्रपति बना

डॉ. कलाम 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। वे बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि के राष्ट्रपति बनने वाले देश के पहले वैज्ञानिक थे।

जनता के राष्ट्रपति क्यों कहे गए?

  • उन्होंने 5 साल के कार्यकाल में 500 से अधिक स्कूलों का दौरा किया और युवाओं से संवाद किया।
  • वे चाहते थे कि हर बच्चा एक बड़ा सपना देखे और उसे पूरा करने के लिए मेहनत करे
  • उन्होंने भारतीय सेना के जवानों के साथ समय बिताया और उनकी समस्याएँ सुनीं।

एक प्रेरणादायक घटना

एक बार राष्ट्रपति भवन में रात के खाने के दौरान उन्होंने सभी कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों के साथ बैठकर खाना खाया। उनकी यह सादगी और प्रेम ने उन्हें ‘जनता का राष्ट्रपति’ बना दिया।


5. डॉ. कलाम की प्रमुख पुस्तकें

  1. विंग्स ऑफ फायर (Wings of Fire): उनकी आत्मकथा, जो संघर्षों से सफलता तक की कहानी बताती है।
  2. इग्नाइटेड माइंड्स (Ignited Minds): भारतीय युवाओं को प्रेरित करने वाली पुस्तक।
  3. इंडिया 2020 (India 2020): भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का रोडमैप।
  4. माय जर्नी (My Journey): उनके जीवन के प्रेरणादायक अनुभवों का संकलन।
  5. ट्रांसेंडेंस (Transcendence): विज्ञान और आध्यात्मिकता के तालमेल पर आधारित पुस्तक।

6. प्रेरक विचार और समाज पर प्रभाव

डॉ. कलाम ने लाखों युवाओं को प्रेरित किया। उनके कुछ प्रसिद्ध विचार:

“अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो, तो पहले सूरज की तरह जलना सीखो।”

“सपने वो नहीं होते जो हम सोते समय देखते हैं, बल्कि सपने वो होते हैं जो हमें सोने न दें।”

“शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिससे हम दुनिया बदल सकते हैं।”


7. अंतिम समय और विरासत

27 जुलाई 2015 को, जब वे शिलांग में भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) में छात्रों को संबोधित कर रहे थे, तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया। गांधी जी के मरते समय अंतिम शब्द थे हे राम! उसी तरह कालम जी अंतिम शब्द थे:

“क्या मैं सही कर रहा हूँ?” (Am I doing it right?)

डॉ. कलाम की विरासत

  • उनकी स्मृति में तमिलनाडु के रामेश्वरम में ‘डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम राष्ट्रीय स्मारक’ बनाया गया।
  • आज भी उनकी किताबें, विचार और योगदान लाखों लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।

डॉ. कलाम से सीखने योग्य बातें

दुनिया में जितने भी लोग महान हुए हैं। सभी में कुछ न कुछ खास होता है, जो उन्हें खास बनाता है। उसी तरह डॉ. कलाम का जीवन हमें यह सिखाता है:

  1. कभी भी कठिनाइयों से घबराओ मत, बल्कि उनसे लड़ो।
  2. हमेशा सीखने और नया करने की जिज्ञासा रखो।
  3. अपने ज्ञान और अनुभव को दूसरों के साथ साझा करो।
  4. सरल जीवन जियो, लेकिन ऊँचे सपने देखो।

डॉ. कलाम आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार, आदर्श और योगदान हमेशा अमर रहेंगे। वे भारत के युवाओं के लिए हमेशा एक प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।

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